Thursday, May 2, 2024
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Ganesh Chaturthi 2024: जानिए मूर्ति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

भारतीय संस्कृति में धर्म, परंपरा और पर्वों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां, हम गणेश चतुर्थी पर्व के बारे में चर्चा करेंगे, जो भारत में एक बड़ा और महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है।

2023 में, गणेश चतुर्थी 19 सितंबर, मंगलवार को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 सितंबर को दोपहर 12:39 बजे से प्रारंभ होगी और 19 सितंबर को दोपहर 01:43 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि मान्य होने के कारण इस साल गणेश चतुर्थी का पावन पर्व 19 सितंबर 2023, मंगलवार को मनाया जाएगा।

गणेश चतुर्थी क्या है?

गणेश चतुर्थी एक हिन्दू पर्व है जो भगवान गणेश की पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भारत के विभिन्न हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन सबसे अधिक महत्वपूर्ण रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, और कर्नाटक में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान गणेश की पूजा, आराधना, और उपासना का अवसर प्रदान करता है और हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण भगवान की महात्म्य को मान्यता है।

गणेश चतुर्थी कब और कैसे मनाई जाती है?

गणेश चतुर्थी वर्षान्त काल के आधार पर आगामी सप्ताह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है, जिसमें चंद्रमा का चित्रित नहीं होता। यह तिथि हर साल बदलती है, लेकिन आमतौर पर अगस्त और सितंबर के बीच में होती है। पर्व के पहले दिन, भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित किया जाता है और पूजा का आयोजन किया जाता है। यह पूजा 10 दिनों तक या उसके अधिक समय के लिए की जा सकती है, और इसके बाद मूर्ति को विसर्जित किया जाता है, जिसे विसर्जन पर्व कहा जाता है।

Ganesh Chaturthi 2024

गणेश चतुर्थी19 सितंबर
शुभ मुहूर्त11 बज के 1 मिनट से
शुभ मुहूर्त समाप्त1 बज कर 28 मिनट तक

गणेश चतुर्थी पूजा सामग्री

गणेश चतुर्थी पूजा के लिए आवश्यक सामग्री निम्नलिखित हैं:

गणेश जी की मूर्ति या फोटो , लाल कपड़ा , गंगाजल , रोली , कुमकुम , चंदन , दुभी , सुपारी , नारियल , मोदक या अन्य मिठाईयां , फूल , धुप , अगरबती , दीप ,शंख , गणेशजी का मंत्र

इनके अलावा, पूजा के लिए अन्य सामग्री भी आवश्यक हो सकती हैं, जैसे कि कलश, घंटी, अक्षत, आदि।

गणेश चतुर्थी पूजा विधि

गणेश चतुर्थी पूजा की विधि निम्नलिखित है:

पूजा के पहले

  • सबसे पहले, पूजा स्थल को साफ करें और सजावट करें।
  • गणेश जी की मूर्ति या फोटो को लाल कपड़े पर स्थापित करें।
  • गणेश जी को गंगाजल से स्नान कराएं।
  • गणेश जी को रोली, कुमकुम, चंदन, और दूर्वा चढ़ाएं।
  • गणेश जी को फूल, धूप, और अगरबत्ती अर्पित करें।
  • गणेश जी को मोदक या अन्य मिठाईयां चढ़ाएं।

पूजा के दौरान

गणेश जी का ध्यान करें और उन्हें प्रणाम करें।
गणेश जी के मंत्रों का जाप करें।
गणेश जी की आरती करें।
गणेश जी से अपने जीवन में सफलता, ज्ञान, और समृद्धि की कामना करें।

पूजा के बाद

  • गणेश जी को प्रसाद वितरित करें।
  • गणेश जी की आरती करें।
  • गणेश जी को नमस्कार करें।
  • गणेश चतुर्थी पूजा मंत्र

गणेश चतुर्थी पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्रों का जाप किया जा सकता है:

गणपति अथर्वशीर्ष
गणेश मंत्र
श्री गणेशाय नमः
ओं गं गणपतये नमः

गणेश चतुर्थी पूजा की कुछ महत्वपूर्ण बातें

  • गणेश चतुर्थी पूजा को सुबह जल्दी या शाम को करना चाहिए।
  • पूजा के दौरान गणेश जी को साफ-सुथरी और पवित्र जगह पर स्थापित करना चाहिए।
  • पूजा के दौरान गणेश जी को मन से प्रणाम करना चाहिए।
  • पूजा के दौरान गणेश जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
  • पूजा के बाद गणेश जी को प्रसाद वितरित करना चाहिए।

गणेश चतुर्थी का महत्व:

  1. भगवान गणेश की आराधना: गणेश चतुर्थी पर्व का मुख्य उद्देश्य भगवान गणेश की पूजा और आराधना करना है। गणेश हिन्दू पौराणिक कथाओं में विद्या, बुद्धि, और समृद्धि के देवता के रूप में जाने जाते हैं, और वे समस्त शुभ कार्यों के प्रारंभकर्ता माने जाते हैं।
  2. आध्यात्मिकता: यह पर्व आध्यात्मिक माहौल में एक अच्छा अवसर प्रदान करता है, जिसमें लोग ध्यान, मेधा, और अध्यात्मिक जीवन के मार्ग पर अग्रसर होते हैं।
  3. सामाजिक समृद्धि: गणेश चतुर्थी का उत्सव लोगों को एक साथ आने और समुदाय के भावनात्मक संबंधों को मजबूत करता है। इसके दौरान लोग मिलकर गीत और नृत्य का आनंद लेते हैं।
  4. पर्व की शुभकामनाएं: गणेश चतुर्थी के अवसर पर लोग अपने दोस्तों और परिवारजनों को शुभकामनाएं और वर्दान देते हैं। यह एक सजीव परंपरा है और समुदाय के बंधनों को मजबूत करता है।

पर्व की पूजा और अनुष्ठान:

गणेश चतुर्थी के दिन, लोग अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं। मूर्ति को पवित्र रूप में स्वच्छ करके उसे पूजा करते हैं। पूजा में गणेश की प्रिय चीजों में से कुछ श्राद्धा और भक्ति के साथ चढ़ाते हैं, जैसे कि मोदक, लड्डू, फूल, और फल। इसके बाद, भक्त गणेश की आरती गाते हैं और प्रार्थनाएं करते हैं। पूजा के बाद, मूर्ति को विसर्जित किया जाता है, जिसे समुद्र या नदी में ले जाकर विसर्जन किया जाता है। यह विसर्जन पर्व कहा जाता है और इसके दौरान भक्त गणेश को आवागमन के लिए पुनः पुकारते हैं।

गणेश चतुर्थी की महत्वपूर्ण कथाएँ:

  1. गणेश के जन्म की कथा: एक प्रमुख कथा के अनुसार, माता पार्वती ने गोली मिट्टी से एक मूर्ति बनाई और उसे जीवन देने के लिए अपनी आपादी शक्ति से प्रेरित किया। इससे गणेश का जन्म हुआ और वह एक महत्वपूर्ण देवता बने।
  2. महाबली का वध: दूसरी कथा के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश ने दैत्यराजा महाबली को प्रकट करने के लिए बाधित किया, जिससे यह पर्व उनके पुत्र गणेश के महत्व को मनाने के रूप में मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी का माहत्व आज के समय में:

गणेश चतुर्थी आज के समय में भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है कि कैसे हम अपने परंपरागत मूल्यों को महत्व देते हैं और धार्मिकता के माध्यम से आध्यात्मिक विकास कर सकते हैं। इसके अलावा, यह समाज में एकता और सामाजिक आपसी समबंधों को मजबूत करने का भी एक माध्यम है।

गणेश चतुर्थी की परंपराएं

गणेश चतुर्थी के दिन, लोग अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं। मूर्ति को आमतौर पर मिट्टी, प्लास्टर ऑफ पेरिस, या अन्य सामग्री से बनाया जाता है। मूर्ति को स्थापित करने से पहले, लोग घर की सफाई और सजावट करते हैं।

गणेश चतुर्थी के दिन, लोग भगवान गणेश की पूजा करते हैं। पूजा में विभिन्न प्रकार के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं, जिनमें मोदक, लड्डू, और अन्य मिठाइयां शामिल हैं। भगवान गणेश की आरती की जाती है और मंत्रों का जाप किया जाता है।

गणेश चतुर्थी के बाद, गणेश विसर्जन होता है। गणेश विसर्जन में, लोग भगवान गणेश की मूर्ति को नदी या समुद्र में विसर्जित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश की मूर्ति को विसर्जित करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।

संक्षिप्त में:

गणेश चतुर्थी भारतीय परंपरा का महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है, जो भगवान गणेश की पूजा और आराधना के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व के माध्यम से लोग धार्मिकता, आध्यात्मिकता, और समाज में एकता को महत्व देते हैं और अपने भगवान की महात्म्य को मान्यता हैं। यह एक सामाजिक और आध्यात्मिक उत्सव है जो सदियों से चल रहा है और भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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