Wednesday, May 1, 2024
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बिहार में दीपावली कब है 2024 : जाने तिथि , शुभमुहूर्त | Diwali 2024 mein kab hai

Diwali 2024 mein kab hai : – दीवाली हर साल शरद ऋतु में मनाया जाने वाला प्राचीन हिन्दू त्यौहार है । कार्तिक अमावस्या को दीपावली बनाया जाता है जो 2023 में 12 नवंबर दिन रविवार को है इसे दीपावली भी कहा जाता है ।

बिहार में दीपावली कब है 2024

अमावस्या तिथि प्रारंभ 12 – 11 – 2023
02:14 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त13 – 11 – 2023
02:55 बजे तक
2024 Diwali kab hai

दीवाली या दीपावली का अर्थ दियों का समूह है अर्थात यह त्यौहार रोशनी का त्यौहार है । ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए

दीवाली 2024 मुहर्त

  • हिन्दू पंचाग के अनुसार 12 नवंबर 2023 को दोपहर 2 बजे 44 मिनट से शुरू होगा
  • 13 नवंबर 2023 को 2 बज के 56 मिनट तक रहेगा ।
  • यैसा माना जाता है कि प्रदोष काल मे माता लक्ष्मी का पूजा करना शुभ माना जाता है ।

दीपावली का इतिहास

कई कथाएँ है जो सुनी जाती है जिसमे से सबसे ज्यादा सुनी जाती है उन्ही में से एक कथा यह भी है ।

मानता है कि जब भगवान राम 14 वर्षों के वनवास के बाद अपनी पत्नी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लोटे थे । तब अयोध्या वासी लौटने की खुशी में दिये जला कर अपनी खुशी जाहिर की थी । तब से इस त्यौहार को मनाया जाने लगा है ।

2024 में दीवाली का सामाजिक और धार्मिक महत्व

दीवाली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है । इसे दीपोत्सव भी कहते है । तमसो मा ज्योतिर्गमय अर्थात अधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए ।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा या दीवाली में दिये जलाने के लिये मिट्टी के दिये का उपयोग करना होता है । बदलते समय में जहाँ लोग इलेक्ट्रॉनिक लाइट का उपयोग अपने घरों को रोशन करने में किया रहा है । जिससे समाज का वो हिस्सा जो मिट्टी के दिये बनाने से जुड़ा है आज आजीविका चलाने में असमर्थ हो रहा है । इसलिए आप सभी से अपील है कि अपनी संस्कृति को बनाये रखने और बेरोजगार होते लोगो को रोजगार देने के लिये । दीवाली में मिट्टी के दिया ही जलाये ।

दीवाली का आर्थिक महत्व

वैसे तो भारत मे हर त्यौहार का अपना अलग महत्व है । दिवाली का आर्थिक महत्व , जितना पश्चिम में क्रिस्मस का है ।

येसी मान्यत है कि इस समय खरीदारी करने से घर मे शुख शांति बनी रहती है । बाजारों में रौनक और चहल पहल अधिक हो जाती है ।

इस समय अधिक खरीदारी होना का कारण किसानों के फसल से भी । इस त्यौहार के ठीक पहले फसलों का तैयार होना । जिससे किसानों के पास अच्छे पैसे होते है ।

यैसा अनुमान लगाया गया है कि प्रत्येक वर्ष दीवाली के दौरान लगभग पाँच हजार करोड़ के पटाखों की खपत होती है ।

2023 में दीवाली पर होने वाली खरीद – बिक्री पर कोरोना का प्रभाव देखने को मिल रहा है । छोटे दुकानदार और व्यापारी इसके कारण बहुत प्रभावित है । साथ ही ऑनलाइन खरीद – बिक्री बढ़ने से छोटे दुकानदार को नुकसान हो रहा है ।

दीपावली के लाभ

  • दीवाली एक यैसा त्यौहार है जिसमें हम अपने घर की सफाई जरूरी करते है । वैसे घरों की भी सफाई करते है जिसे हम रोज नहीं करते ।
  • दीपावली /दीवाली में अग्रसर देखा गया है कि व्यपार में तेजी आती है ।
  • दीवाली के दिन मिट्टी के दिये चलाने का प्रचलन है जिसके कारण इसकी मांग बढ़ती है और छोटे छोटे व्यपारी को भी लाभ मिलता है ।
  • आज कल कई ई-कॉमर्स वेबसाइट यानी जहाँ से हम खरीदते है , दीवाली के समय अच्छे खसे डिस्काउंट आफर अपने ग्राहकों को देती है जिससे ग्राहकों को लाभ मिलता है ।

दीपावली से हानि

  • दीवाली में अपने घर को लाइट से सजाते है जिसके कारण अतिरिक्त बिजली का उपयोग करते हैं जिसके कारण बिजली की समस्या देखने को मिलती है ।
  • दीवाली के समय पटाखे चलाने की परंपरा है लेकिन आधुनिक युग मे लोगो द्वारा अत्यधिक पटाखे चलाने के कारण वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है जोकि हमसब के लिये एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो जाती है ।
  • आज कल लोग दिखवा करने के चक्र में फिजूल खर्ची कर देते है ।

दीवाली बड़े त्योहारों ने से एक है । जिसमें लोगो की अपार आस्था जुड़ी है । इसमें की गई कई खर्च या तो लोगों को मजबूरी में करनी पड़ती है या हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचने के लिये किया जाता है ।

कुल मिला कर यही कहा जाता सकता है कि इस त्यौहार में हमें अपनी संस्कृति के साथ साथ पर्यावरण को भी बचने की कोशिश करनी चाहिए ।

2023 में दीवाली कब है ?

12 नवंबर 2023

दीवाली कब से बनाया जाता है ?

वैसे तो कई कथाएं प्रचलित है लेकिन सबसे अधिक लोगों द्वारा बताई जाने वाली कथा यह है कि जब भगवान राम रावण के वध करके अयोध्या लौटे थे तो अयोध्या वासी उनके आने की खुशी में दीप जलाकर उनका स्वागत किया था तब से इस दिवाली की शुरुआत हुई थी

दीवाली मनाने से लाभ क्या है ?

पूरे घर की सफाई हो जाती है आपसी भाईचारा बना रहता है ।

दीवाली के दिन किसकी पूजा की जाती है ?

माता लक्ष्मी जी की

दीवाली कब मनाया जाता है ?

कार्तिक माह की अमावस्या के दिन

दीपावली का प्राचीन नाम क्या है ?

चुकि दीपवाली में अधिक संख्या में दीपो को जलाया जाता है तो दिवापली का प्राचीन नाम दीपोत्सव है ।

बिहार में दीपावली कब है 2024

वर्षतारीख
202431 अक्टूबर
202521 अक्टूबर
202606 ननवंबर
202729 अक्टूबर
202817 अक्टूबर
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